
फिक़्ह (इसलामी शास्त्र) और उसके सिद्धांत
सुन्नते-मुअक्कदा की नमाज़ दस रकअत है या बारह रकअत, और क्या इसे जमाअत के साथ पढ़ना जायज़ हैॽ
सही दृष्टिकोण के अनुसार नियमित (मुअक्कदा) सुन्नतें बारह रकअत हैं : फज्र से पहले दो रकअत, ज़ुहर से पहले चार रकअतें दो सलाम के साथ और उसके बाद दो रकअत, मग़रिब के बाद दो रकअत और इशा के बाद दो रकअत।सहेजेंवे स्थान जहाँ नमाज़ पढ़ना वर्जित है
सहेजेंडिस्काउंट कार्ड का हुक्म
सहेजेंवेब डिज़ाइनर के रूप में कार्य करने का हुक्म
सहेजेंऐसे कपड़े बेचने का हुक्म जिनके बारे में ज्ञात न हो कि उनका प्रयोग ह़लाल अथवा ह़राम में किया जाएगाॽ
सहेजेंजुमा के दिन प्रवचन के दौरान बात करने और खामोश रहने का हुक्म
सहेजेंसलसुल-बौल (मूत्र असंयम) से पीड़ित व्यक्ति की पवित्रता और नमाज़
जिस किसी को ह़दस (नापाकी) की शिकायत निरंतर रहती हो, जैसे सलसुल-बौल का रोगी, तो अधिकांश विद्वानों ने सलसुल बौल के रोगी को मुस्तह़ाज़ा अर्थात अनियमित गैर-मासिक रक्तस्राव से पीड़ित महिला के समान नियमों के अंतर्गत आने वाला माना है। और वह : - नापाकी (अशुद्धता) को फैलने से रोकने वाले साधनों का प्रयोग करते हुए - प्रत्येक नमाज़ के समय वुज़ू करेगा तथा अपने उस वुज़ू के साथ जितना भी चाहे फ़र्ज़ (अनिवार्य) एवं नफ़्ल नमाज़ें पढ़ेगा। यदि मान लिया जाए कि सलसुल-बौल से पीड़ित व्यक्ति ने वुज़ू किया, फिर उसके बाद पेशाब का कुछ भी क़तरा नहीं निकला और दूसरी नमाज़ का समय शुरू होगया, तो उसके लिए दोबारा वुज़ू करना ज़रूरी नहीं है, बल्कि वह अभी भी अपने पहले वुज़ू पर बाक़ी है। तथा उसके लिए दो नमाज़ों को एकत्र करने की (भी) अनुमति है।सहेजेंक़ब्रों के पास नमाज़, तथा शफाअत की शर्तें
सहेजेंनमाज़ के लिए निषिद्ध समय में कौन-सी सुन्नत की नमाज़ पढ़ना जायज़ हैॽ
सहेजेंरंग के ऐतिबार से पोशाक के नियमॽ
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