सुरक्षित करें
  • New List
अधिक
    सुरक्षित करें
    • New List
12,08502/शाबान/1434 , 11/जून/2013

नव मुस्लिम का इस्लामी कर्तव्यों की क़ज़ा करना

प्रश्न: 2195

एक आदमी ने इस्लाम स्वीकार किया और उसकी आयु चालीस साल है। क्या वह छूटी हुई नमाज़ों की क़ज़ा करेगा ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

जो व्यक्ति इस्लाम में प्रवेश किया है वह अपने कुफ्र की हालत में छूटी हुई नमाज़, रोज़े और ज़कात की कज़ा नहीं करेगा, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :

قل للذين كفروا إن ينتهوا يغفر لهم ما قد سلف [سورة الأنفال : 38 ].

''आप काफिरों से कह दीजिए कि यदि वे बाज़ आ जायें तो उनके पिछले पाप क्षमा कर दिए जायेंगे।'' (सूरतुल अनफाल : 38).

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ''इस्लाम अपने से पहले की चीज़ों को मिटा देता है।'' इसे मुस्लिम ने अपनी सहीह (हदीस संख्याः 121) में रिवायत किया है। और इसलिए कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने किसी भी इस्लाम क़बूल करने वाले को उसके कुफ्र की हालत में छूटे हुए इस्लाम के प्रतीकों की क़ज़ा करने का आदेश नहीं दिया, तथा इसलिए कि विद्वानों की इस बात पर सर्वसहमति है।

संदर्भ

स्रोत

फतावा स्थायी समिति 6/400

टेक्स्ट स्वरूप विकल्प

at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android