रमज़ान के क़ियामुल्लैल (तरावीह) में मुसहफ से देखकर पढ़ने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, क्योंकि इसमें मुक़तदियों को संपूर्ण क़ुरआन सुनाना उद्देश्य है, और इसलिए कि किताब व सुन्नत के शरई प्रमाणों से नमाज़ के अंदर क़ुरआन पढ़ने की वैधता का पता चलता है, और यह सर्वसामान्य है, यह उसे मुसहफ से देखकर पढ़ने और कंठस्थ कर पढ़ने, दोनों को सम्मिलित है। तथा आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा के बारे में प्रमाणित है कि उन्हों ने अपने मौला ज़कवान को आदेश दिया कि वह रमज़ान के क़ियामुल्लैल में उनकी इमामत कराएं, और वह मुसहफ से देखकर पढ़ते थे। इसे बुखारी ने अपनी सहीह में तालीक़न जज़्म के साथ रिवायत किया है।
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5,62124/शाबान/1441 , 17/अप्रैल/2020
नमाज़ के अंदर मुसहफ (क़ुरआन) से देखकर पढ़ने का हुक्म
प्रश्न: 1255
क्या तरावीह की नमाज़ या ग्रहण की नमाज़ में मुसहफ (क़ुरआन) से देखकर पढ़ना जायज़ है या नहीं ?
उत्तर का पाठ
हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :
स्रोत:
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह, फतावा इस्लामिया भाग-2