0 / 0

क्या कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण मरने वाला व्यक्ति शहीद हैॽ

प्रश्न: 334078

एक मुसलमान को इन कठिन दिनों के दौरान क्या करना चाहिए, जबकि हर तरफ कोरोना वायरस (कोविड-19) फैला हुआ है। क्या जिस व्यक्ति की अल्लाह ने वर्तमान समय में फैले हुए कोरोना वायरस के कारण मृत्यु लिख दी है, वह शहीद हैॽ अल्लाह आपका भला करे तथा इस महामारी की बुराई से हमारी और आपकी रक्षा करे।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

सर्व प्रथम :

इस बात का पहले उल्लेख किया जा चुका है कि एक मुसलमान को इन दिनों में क्या करना चाहिए है। इसलिए प्रश्न संख्या : (334353) का उत्तर देखें।

दूसरा :

शहीदों के प्रकार और शहीद के मानदंड (कसौटी) का उल्लेख प्रश्न संख्या : (226242) और प्रश्न संख्या : (129214) के उत्तर में किया जा चुका है। तथा जो व्यक्ति कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण मर जाता है, उसके लिए दो तरीकों से शहादत की आशा की जाती है :

पहला तरीक़ा :

यह वायरस फेफड़ों को नष्ट कर देता है। इसलिए अगर वह इसकी वजह से मर जाता है, तो उसे तपेदिक (टी.बी. के रोग) के कारण मरने वाले व्यक्ति के साथ संबंधित किया जाएगा, बल्कि इसका मामला उससे अधिक गंभीर है। क्योंकि तपेदिक फेफड़ों में घाव पैदा करती है। उसके बारे में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “तपेदिक शाहदत है।” इसे तबरानी ने सलमान की हदीस से और अबुश-शैख ने उबादा की हदीस से रिवायत किया है। अलबानी ने “सहीहुल-जामे” में इसे सहीह कहा है, तथा उन्होंने इसे राशिद बिन हुबैश की हदीस से अहमद की ओर भी मंसूब किया है। इसी तरह हाफिज़ इब्ने हजर ने फ़त्हुल-बारी में किया है।

हाफिज़ इब्ने हजर ने कहा : “तथा उनकी (यानी अहमद की) राशिद बिन हुबैश की हदीस से इसी के अर्थ में एक रिवायत है, और उसमें : (والسِّلّ)  “वस्सिल्ल” (और तपेदिक) का शब्द है।” फत्हुल-बारी (6/43) से उद्धरण समाप्त हुआ।

अहमद (हदीस संख्या : 15998) के निकट राशिद बिन हुबैश की हदीस यह है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उबादा बिन सामित के यहाँ उनकी बीमारी में उन्हें देखने के लिए आए। तो आपने फरमाया : “क्या तुम लोग जानते हो कि मेरी उम्मत के शहीद कौन लोग हैंॽ” तो लोग चुप रहे। उबादा ने कहा : मुझे सहारा देकर बिठाओ। तो लोगों ने उन्हें सहारा देकर बिठा दिया। फिर उन्होंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, जो व्यक्ति सब्र करने वाला और उस पर अज्र व सवाब की आशा रखने वाला है।

इस पर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “तब तो मेरी उम्मत के शहीद बहुत थोड़े रह जाएँगे : अल्लाह के मार्ग में क़त्ल होना शहादत है, ताऊन में मरना शहादत है, पानी में डूबकर मर जाना शहादत है, पेट की बीमारी से मरना शहादत है, निफ़ास (प्रसव) की स्थिति में मरने वाली महिला को उसका बच्चे अपने गर्भनाल के साथ खीँचकर जन्नत में ले जाएगा।” उन्होंने कहा : बैतुल-मक़्दिस के अभिरक्षक अबुल अव्वाम ने इसमें यह वृद्धि की है : “तथा जल कर मरने वाला और सैलाब से मरने वाला।”

मुनावी रहिमहुल्लाह ने कहा : “(वस्सैल) अर्थात : पानी में डूबना। लेखक ने अपने हस्तलेख से उसके उच्चारण का ढंग इसी तरह लिखा है और मैंने उसे अपनी आँखों से उसमें देखा है। इसलिए कई प्रतिलिपियों में जो उसे “अस्सिल्ल” (अर्थात तपेदिक) लिखा गया है, यह कुछ प्रतिलेखकों की ओर से एक परिवर्तन है।”

“फ़ैज़ुल-क़दीर” (4/533) से उद्धरण समाप्त हुआ।

“मुस्नद अह़्मद” (25/380) के अन्वेषकों का कहना है : “उक्त हदीस का शब्द : “अस्सैल”, इसी तरह सभी प्रतिलिपियों में, तथा “ग़ायतुल मक़्सद फी ज़वाइदिल मुस्नद” में वर्णित है, जो डूबने के अर्थ से मेल खाता है। लेकिन हाफ़िज़ इब्ने हजर ने “फ़त्हुल-बारी” (6/43) में इसका उच्चारण “वस्सिल्ल” (सीन के नीचे ज़ेर और लाम पर तश्दीद के साथ) उल्लेख किया है। जिसका मतलब तपेदिक नामक ज्ञात रोग है। उस समय यह ताऊन से मरने वाले लोगों के साथ शामिल हो सकता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा यह हदीस ऊपर उल्लेख की जा चुकी है कि : “तपेदिक (क्षय रोग) शाहदत है।”

मुनावी ने फ़ैज़ुल-क़दीर (4/145) में कहा : “(तपेदिक शाहदत है)। यह एक मामूली बुखार के साथ फेफड़ों में घाव होता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

दूसरा :

अगर वह जिगर या गुर्दे की क्षति का कारण बनता है और उसके परिणामस्वरूप आदमी की मृत्यु हो जाती है, तो वह पेट की बीमारी से मरने वाला समझा जाएगा।  और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : “शहीद पाँच प्रकार के होते हैं : ताऊन (प्लेग) में मरने वाला, पेट की बीमारी से मरने वाला, डूबकर मरने वाला, (इमारत या दीवार आदि गिरने के कारण) दबकर मर जाने वाला और अल्लाह के मार्ग (जिहाद) में शहीद होने वाला।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 2829) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1914) ने रिवायत किया है।

नववी रहिमहुल्लाह सहीह मुस्लिम की शर्ह (व्याख्या) में कहते हैं : “(मबतून) पेट की बीमारी वाले व्यक्ति को कहते हैं और इससे अभिप्राय दस्त का रोग है। क़ाज़ी ने कहा : यह भी कहा गया है कि इससे अभिप्राय वह व्यक्ति है जिसे जलोदर और (पेट में पानी भरने के कारण) पेट फूलने की समस्या हो। एक कथन यह है कि इससे अभिप्राय : वह व्यक्ति है जिसके पेट में तकलीफ़ हो। तथा एक कथन के अनुसार इससे अभिप्राय वह आदमी है : जो सामान्य रूप से किसी भी पेट की बीमारी के कारण मर जाता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से यह प्रश्न किया गया कि : “हदीस में आया है कि “मबतून” (पेट का रोगी) शहीद है। “मबतून” शब्द का अर्थ क्या हैॽ क्या इसके अर्थ के अंतर्गत जिगर के सिरोसिस (लिवर सिरोसिस) से मरने वाला व्यक्ति आता हैॽ

तो उन्होंने जवाब दिया : विद्वानों ने कहा है कि “मबतून” वह व्यक्ति है जो पेट की बीमारी से मर गया हो। प्रत्यक्ष बात यह है कि एपेंडिसाइटिस के कारण मर जाने वाला व्यक्ति भी इसी के अंतर्गत आएगा, क्योंकि यह पेट के जानलेवा (घातक) रोगों में से एक है। तथा शायद उसी में से वह व्यक्ति भी है जिसकी मृत्यु जिगर के सिरोसिस के कारण हुई है, क्योंकि यह पेट की एक घातक (जानलेवा) बीमारी है।” पत्रिका “अद्दावह” के लिए शैख इब्ने उसैमीन के फतवों से उद्धरण समाप्त हुआ।

निष्कर्ष यह कि जो व्यक्ति इस वायरस (कोविड-19) से मर जाता है, उसके लिए शहादत की आशा की जाती है।

तथा हम सचेत कर दें कि यह ताऊन (प्लेग) के अंतर्गत नहीं आता है, जैसा कि प्रश्न संख्या : (333763) के जवाब में इसका उल्लेख किया जा चुका है।

हम अल्लाह से प्रार्थना करते हैं कि वह हमसे इस आपदा और महामारी को दूर कर दे तथा हमें और समस्त मुसलमानों को सुरक्षा व शांति प्रदान करे।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android