फ़र्ज़ (अनिवार्य), मुस्तहब अर्थात् वांछनीय (अनिवार्य नहीं है), मुबाह अर्थात् अनुमत (स्वैच्छानुसार है) मक्रूह अर्थात घृणास्पद (जिसका करना वांछनीय नहीं है) और हराम अर्थात् निषिद्ध (वर्जित है), कृपया मुझे इन अनुभागों में से प्रत्येक का उदाहरण देंॽ
तक्लीफ़ी अहकाम (शरीअत के प्रावधानों के अनुभाग) और उनके उदाहरण
प्रश्न: 180341
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
पहला :
वाजिब : वह है जिसका शरीअत ने अनिवार्य रूप से आदेश दिया है।
इसके उदाहरण ये हैं- पाँच दैनिक नमाज़ें, रमज़ान के रोज़े, ज़कात उन लोगों के लिए जो इसे देने के लिए बाध्य हैं, तथा उन लोगों के लिए अल्लाह के घर का हज्ज करना जिनके पास ऐसा करने का साधन है।
वाजिब को फ़र्ज़, फ़रीज़ा, हत्मी और लाज़िम भी कहा जाता है। इसको आज्ञापालन के तौर पर करने वाला सवाब दिया जाता है, और इसको छोड़ने वाला दंड का पात्र होता है।
दूसरा :
मन्दूब : वह है जिसका शरीअत ने आदेश दिया है, लेकिन अनिवार्य और अपरिहार्य रूप से नहीं।
जैसे कि क़ियामुल-लैल, मुअक्कदा सुन्नतें, और जो पाँच फ़र्ज़ (अनिवार्य) नमाज़ों के अतिरिक्त नमाज़ें हैं, तथा प्रत्येक महीने के तीन दिन के रोज़े, शव्वाल के छह दिन के रोज़े, गरीबों को दान देना, अज़कार एवं दुआओं की पाबंदी करना।
मन्दूब को मुस्तहब, सुन्नत, मस्नून और नफ़्ल भी कहा जाता है। इसको आज्ञापालन के तौर पर करने वाला सवाब दिया जाता है, किंतु इसका पालन न करने वाले को दंडित नहीं किया जाएगा।
तीसरा :
मुहर्रम, हराम या वर्जित और निषिद्ध : वह है जिससे शरीअत ने रोका है अनिवार्य रूप से उसे छोड़ने के लिए बाध्य करते हुए।
जैसे व्यभिचार, सूद, शराब पीना, माता-पिता की अवज्ञा करना, दाढ़ी मुंडाना और महिलाओं का बेपर्दा घूमना।
आज्ञाकारिता के तौर पर हराम को छोड़ देनेवाला सवाब दिया जाएगा और उस को करनेवाला दंडित किया जाएगा।
चौथा :
मक्रूह : वह है जिससे शरीअत ने मना किया है लेकिन अनिवार्य रूप से छोड़ने के लिए बाध्य नहीं किया है।
जैसे बाएं हाथ से लेना और देना, महिलाओं का जनाजें के पीछे जाना, रात के खाने के बाद बात चीत करना, एक पोशाक में इस स्थिति में नमाज़ पढ़ना कि उसके कंधे पर कोई चीज़ न हो, फज़्र की नमाज़ के बाद सूरज उगने तक और अस्र की नमाज़ के बाद सूरज के डूबने तक नफ्ल नमाज़ पढ़ना।
आज्ञापालन के तौर पर मक्रूह को छोड़ने वाला सवाब दिया जाएगा, जबकि उसके करने वाले को दंडित नहीं किया जाएगा।
पांचवाँ :
मुबाह (अनुमत) या हलाल और जायज़ : वह है जिसके साथ व्यक्तिगत रुप से कोई आदेश या निषेध संबंधित नहीं होता है।
जैसे खाना और पीना, खरीदारी और बिक्री करना, जीविका तलाश करने और पर्यटन के लिए यात्रा करना, और रमजान में रात के समय पत्नियों से संभोग करना।
मुबाह की परिभाषा को "व्यक्तिगत रूप" के शब्द से प्रतिबंधित किया गया है, क्योंकि कभी कभी उसके साथ कोई बाहरी चीज़ संबंधित होती है, जो उसे आदिष्ट या निषिद्ध बना देती है।
चुनांचे पानी का खरीदना मूल रूप से मुबाह (अनुमत) है, लेकिन यदि उसके ऊपर फर्ज़ नमाज़ के लिए वुज़ू करना लंबित हो तो वह अनिवार्य हो जाएगा; क्योंकि जिसके बिना कोई अनिवार्य कार्य पूरा न हो, तो वह भी अनिवार्य हो जाता है।
पर्यटन के लिए यात्रा करना मूल रूप से अनुमत (मुबाह) है, लेकिन अगर यह यात्रा काफ़िरों के देश की ओर हो जहां फित्ना (विद्रोह), पाप और अनैतिकता की अधिकता होती है तो ऐसी यात्रा वर्जित हो जाएगी, क्योंकि यह हराम (निषिद्ध कार्य) में पड़ जाने का कारण (साधन) है।
अधिक विस्तार के लिएः इब्ने क़ुदामा की किताब ''रौज़तुन नाज़िर व जन्नतुल मनाज़िर'' (1/150-210), ज़रक्शी की किताब ''अल-बह्रुल मुहीत'' (1/140-240) इब्ने उसैमीन की किताब ''शर्हुल उसूल मिन इल्मिल उसूल'' पृष्ठ 46-68 देखें।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर