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राफिज़ा को हुसैन की हत्या पर ताज़ियत करना

प्रश्न: 176341

मैंने ट्वीटर पर कुछ सुन्नी लोगों के ट्वीटस पढ़े हैं जिसमें वे राफिज़ा को हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की हत्या पर सांत्वना देते हैं, या उनसे कहते हैं कि: आप लोग पुण्य के पात्र हैं। इस कार्य का क्या हुक्म (प्रावधान) है?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

उत्तर :हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।

सर्व प्रथम:

अहलुस्सुन्नहवल जमाअह हुसैनरज़ियल्लाहु अन्हुऔर नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके घराने वालोंके दूसरे लोगोंसे अधिक योग्यहैं। चुनांचे वहीलोग बिना किसीअतिश्योक्ति याज़्यादती के, तथा बिना किसीइफ्रात या तफ्रीतके नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमकी, आपकी संतान,आपकी पत्नियों,आपके साथियों औरआपके परिवार केप्रति, रक्षा करतेहैं, जैसाकिअल्लाह सर्वशक्तिमानने आदेश दिया है।जबकि राफिज़ा केलिए कोई ऐसी चीज़नहीं जो उन्हेंहुसैन रज़ियल्लाहुअन्हु या नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके घर वालों केसाथ कोई विशिष्टताया विशेषता प्रदानकरती हो कि उन्हेंयह सांत्वना दियाजाए। बल्कि इसअध्याय में उनकेअंदर ऐसी अतिश्योक्ति, नवाचार औरपथभ्रष्टता पाईजाती है कि उससेअलगाव प्रकट करनाऔर उनका खण्डनकरना अनिवार्यहो जाता है।

राफिज़ा केमत के विषय मेंअधिक विस्तार केलिए आप प्रश्नसंख्या : (101272) देख सकतेहैं।

दूसरा :

राफिज़ा लोग,हुसैन की मृत्युके यादगार के तौरपर जो कुछभी आशूरा – दसवींमुहर्रम- के दिनका सम्मान करतेहैं, तथामातम करते हैं, शोक प्रकटकरते हैं, और उसमें रोनेका प्रदर्शन करतेहैं, तथा जाहिलियत(अज्ञानता) के युगके अनेक प्रकारके नौहा करते हैं, यह सब एक घृणास्पदबिदअत – नवाचार- है, जिसेपूर्वजों ; सहाबा, ताबेईन, और अनुसरणीयइमामों – अल्लाहउन सब पर दया करे- ने नहीं किया है।तथा पैगंबरों याशहीदों में से,जिनमें सैयिदुश्शुहदाहमज़ा रज़ियल्लाहुअन्हु भी सम्मिलितहैं, किसी की हत्याके यादगार को ज़िन्दाकरना नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका तरीक़ा नहींथा।

तथा किसी मनुष्यकी मृत्यु का यादगारमनाना, न तो नबीसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम की और नही आपके अलावाकी, पूर्वजोंका तरीक़ा नहींथा।

अतः जिसनेऐसा किया वह बिदअतगढ़ने और सुन्नततथा पुनीत पूर्वजोंके तरीक़े का विरोधकरने के दोष मेंपड़ गया।

अधिक विस्तारके साथ जानकारीके लिए आप प्रश्नसंख्या : (4033) को देखसकते हैं।

राफिज़ा अपनीपथ-भ्रष्टता मेंऔर बढ़ गए और उन्होंने इस दिन में घिनावनीबिदअतें और सख्तअनेच्छिक कार्यपैदा कर लिए जिनकाइस्लाम धर्म मेंकोई आधार नहींहै, जैसेकि सीना पीटना, गरीबात फाड़ना, नौहा करना, गालों पर मारना, कन्धों परज़ंजीरों से मारना, तलवारों सेसिर को घायल करनाऔर खून बहाना।

अतिरिक्त जानकीके लिए आप प्रश्नसंख्या : (101268) देख सकतेहैं।

उपर्युक्ततथ्यों के आधारपर, मुसलमान केलिए जायज़ नहींहै कि वह राफिज़ाको हुसैन रज़ियल्लाहुअन्हु की हत्यापर सांत्वना दे, क्योंकि इसमेंबिदअत गढ़ना औरसुन्नत का विरोधकरना पाया जाताहै। तथा इसमेंउन्हें उनके बातिलकाम पर शक्ति प्रदानकरना, उसपर उन्हेंबरकरार रखना पायाजाता है। तथा उनसेयह कहना जायज़ नहींहै कि ”तुम्हेंपुण्य मिलेगा”(या आप लोग पुण्यके पात्र हैं) क्योंकिउन्हें उनके बिदअतगढ़ने पर पुण्यनहीं मिलेगा बल्किवे लोग दोषी हैंयातना के अधिकारीहैं।

और अल्लाहतआला ही सबसे अधिकज्ञान रखने वालाहै।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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