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धर्म को गाली देने वाले आदमी का हुक्म और अगर वह तौबा कर ले तो क्या उसे क़त्ल किया जायेगा ॽ

प्रश्न: 149118

एक आदमी है जो दीन की बातों को नहीं जानता है और दीन को गाली देता है तो उसका क्या हुक्म है ॽ और यदि उसे अपनी गलती का पता चल जाए तो उसे क्या करना चाहिए ॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

उत्तर:

हर प्रकारकी प्रशंसा औरस्तुति केवल अल्लाहके लिए योग्य है।

“दीन को गालीदेना बड़ा कुफ्र(घोर नास्तिकता)और इस्लाम धर्मसे पलट जाना (अधर्मीहो जाना) है,हम ऐसी स्थितिसे अल्लाह की पनाहमांगते हैं,यदि मुसलमानअपने दीन को गालीदे,या इस्लामको गाली दे,या इस्लामकी निंदा व आलोचनाकरे और उसकी बुराईकरे,या उसकाउपहास करे तो यहइस्लाम से पलटजाना (विधर्म होजाना) है,अल्लाह तआला नेफरमाया :

قُلْأَبِاللّهِ وَآيَاتِهِ وَرَسُولِهِ كُنتُمْ تَسْتَهْزِؤُونَ لاَ تَعْتَذِرُواْ قَدْكَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَانِكُمْ [التوبة : 65-66]

“आप कहदीजिए, क्या तुमअल्लाह, उसकी आयतोंऔर उस के रसूल कामज़ाक़ उड़ाते थेॽअब बहाने नबनाओ,निःसन्देहतुम ईमान के बाद(फिर) काफिर हो गए।”(सूरतुत्तौबाः65-66)

सभीविद्वान इस बातपर एक मत हैं किजब भी मुसलमानदीन को गाली देगाया उसकी निंदाऔर बुराई करेगा,या पैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमको गाली देगा याउनकी निंदा औरबुराई करेगा,या उनका उपहासकरेगा, तो इसकेकारण वह मुर्तद्द(स्वधर्मत्यागी) वकाफिर हो जायेगा,उसका रक्त और धनहलाल (वैध) होगा,उस से तौबा करवायाजायेगा,यदि उसने तौबाकर लिया तो ठीक,अन्यथा उसे क़त्लकर दिया जायेगा।

जबकिकुछ विद्वानोंका कहना है कि : निर्णयऔर फैसले की दृष्टिसे उसके लिए तौबानहीं है बल्किउसे क़त्ल कर दियाजायेगा, लेकिनअधिक उचति बातयह है कि यदि अल्लाहने चाहा तो जब वहतौबा का प्रदर्शनकरेगा और तौबाकी घोषणा करेगाऔर अपने सर्वशक्तिमानपालनहार की ओरपलट आयेगा तो उसेस्वीकार किया जायेगा,यदि शासक ने दूसरोंको उस काम से बाज़रखने के लिए उसेक़त्ल कर दिया तोकोई बात नहीं है,जहाँ तकउसके और अल्लाहके बीच तौबा कामामला है तो वहसही है,यदिउसने सच्ची तौबाकर ली तो उसकी तौबा(पश्चाताप) उसकेऔर अल्लाह के बीचसही है यद्यपिशासक ने उसे दीनके प्रति लापरवाहीऔर दीन को गालीदेने का द्वारबंद करने के लिएक़त्ल कर दिया हो।

उद्देश्ययह है कि दीन कोगाली देना,दीन या पैगंबरसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम की निंदाऔर बुराई करना,या उसका उपहासकरना मुसलमानोंकी सर्वसहमति केसाथ स्वधर्म त्यागऔर महान कुफ्र(नास्तिकता) है,ऐसे आदमी से तौबाकरवाया जायेगा,यदि उसनेतौबा कर लिया तोअल्लाह तआला उसकीतौबा को स्वीकारकर लेगा और उसेक्षमा कर देगा,रही बात इसकी किउसे दुनिया मेंक़त्ल किया जायेगाहै या कत्ल नहींकिया जायेगा तोइस मामले में विद्वानोंके बीच मतभेद हैजैसा कि हम उल्लेखकर चुके हैं।” अंत हुआ।

आदरणीयशैख अब्दुल अज़ीज़बिन अब्दुल्लाहबिन बाज़ रहिमहुल्लाह

स्रोत

“फतावा नूरून अलद-दर्ब” इब्न बाज़ (1/105)

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