जुमा की नमाज़ महिलाओं पर फ़र्ज़ नहीं है, लेकिन अगर महिला मस्जिद में जाती है और जुमा की नमाज़ पढ़ती है, तो यह उसके लिए ज़ुहर की नमाज़ के लिए पर्याप्त है।
इफ्ता की स्थायी समिति के विद्वानों ने कहा :
“अगर कोई महिला जुमा के इमाम के साथ जुमा की नमाज़ पढ़ती है, तो यह उसके लिए ज़ुहर की नमाज़ की तरफ़ से पर्याप्त है। इसलिए उसके लिए उस दिन ज़ुहर की नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं है। लेकिन अगर वह अकेले नमाज़ पढ़ती है, तो उसके लिए केवल ज़ुहर की नमाज़ पढ़ना जायज़ है। उसके लिए जुमा की नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“फतावा अल-लजनह अद-दाईमह” (7/337)।
यदि वह जुमा के दिन अपने घर में ज़ुहर की नमाज़ पढ़ती है, तो वह ज़ुहर की (फ़र्ज़) नमाज़ से पहले और बाद की नियमित सुन्नतें भी पढ़ेगी, जैसा कि वह हर दिन करती है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।