हाँ, उसके लिए ‘अल-हम्दु लिल्लाह’ कहना धर्मसंगत है। क्योंकि सहीह हदीस में यह प्रमाणित है कि “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने किसी को नमाज़ में छींक आने के बाद ‘अल-हम्दु लिल्लाह’ कहते सुना, तो उसका खंडन नहीं किया। बल्कि आपने कहा : “मैंने इतने और इतने फ़रिश्तों को देखा कि वे उसकी ओर जल्दी कर रहे थे कि कौन उसे (पहले) लिख ले।” और क्योंकि अल्लाह की प्रशंसा करना नमाज़ के ज़िक्र के समान है, और उसके विपरीत नहीं है।”
“मजमूओ फतावा अश-शैख इब्न बाज़” (29/348)।