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क्या बिना इरादा के भोजन का अवशेष टुकड़ा मनुष्य के पेट में चले जाने से उसका रोज़ा टूट जाएगा?

प्रश्न: 79190

सेहरी खाने के बाद, मैं दाँत को सीधा करनेवाला उपकरण (ब्रेसिज़) प्रयोग करता हूँ, अपने दाँतों को धोने के बाद मैं ने ध्यान नहीं दिया कि खाने के कुछ अवशेष ब्रेसिज में फंसे रह गए हैं। जिसके कारण एक टुकड़ा गले में उतर गया, जबकि दूसरा टुकड़ा मैंने बाहर निकाल दिया, तो क्या मेरे ऊपर रोज़े की क़ज़ा अनिवार्य है या नहीं?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

रोज़ा रखने की नीयत करनेवाले मुसलमान व्यक्ति को चाहिए कि वह – रात के समय ही – अपने दाँतों को साफ कर लिया करे, और भोजन के उन अवशेषों को निकाल दे जो दाँतों में या उनके बीच फँसे हो सकते हैं। तथा उसे वुज़ू के दौरान अच्छी तरह कुल्ली करना चाहिए, ताकि दाँतों में फंसे खाने के टुकड़े निकल जाएं।

जिस व्यक्ति ने अपने दांतों में फंसे हुए खाने के अवशेष को उसे बाहर निकालने में सक्षम होने के बावजूद स्वेच्छा से निगल लिया, तो इसके कारण उसका रोज़ा टूट जाएगा। लेकिन अगर वह बिना स्वेच्छा के निगला है, जैसेकि अगर वह उसके थूक के साथ उसके गले में चला जाए और वह उसे रोकने में सक्षम न हो, तो उसका रोज़ा सही है और उस पर कुछ भी अनिवार्य नहीं है।

नववी रहिमहुल्लाह कहते हैं :

‘‘हमारे साथियों – अर्थात: शाफेइया – का कहना है : अगर उसके दाँतों के बीच कुछ खाना बाक़ी रह जाए : तो उसे रात ही में उसका खिलाल (दांतों को दंतखुदनी से साफ) कर लेना चाहिए, और अपने मुंह को साफ करना चाहिए। अगर उसने रोज़ा की हालत में सुबह की और उसके दांतों के बीच कुछ खाना फंसा हुआ है जिसे वह जानबूझकर निगल लिया : तो हमारे निकट बिना किसी मतभेद के उसका रोज़ा टूट जाएगा, यही कथन इमाम मालिक, अबू यूसुफ, और अहमद … का भी है।

उसका रोज़ा टूट जाने के बारे में हमारा तर्क यह है कि : उसने उस चीज़ को निगल लिया है जिससे उसका बचना संभव था, और उसे उसकी कोई आवश्यकता नहीं थी, अतः उसका रोज़ा बातिल (व्यर्थ) हो गया, जैसेकि अगर वह उसे अपने हाथ में निकाल कर फिर उसे निगल जाए।

लेकिन अगर वह थूक के साथ मिल गया और उसने बिना इरादा के उसे निगल लिया : तो इसके बारे में इमाम शाफेई से उनके अनुयायियों (असहाब) ने विभिन्न रायों का उल्लेख किया है। कुछ लोगों ने यह उल्लेख किया है कि उसका रोज़ा टूट जाएगा, जबकि कुछ लोगों ने यह उल्लेख किया है कि उसका रोज़ा नहीं टूटेगा। सही बात यह है तथा अक्सर लोगों का कथन भी यही है कि उक्त दोनों राय दो परिस्थितियों में हैं : जहाँ यह कहा है कि : ‘‘इससे रोज़ा नहीं टूटेगा’’, तो इससे अभिप्राय ऐसी स्थिति है जब वह उसमें भेद करने और उसे बाहर थूकने में समर्थ न हो। और जहाँ यह कहा है कि : ‘‘उससे रोज़ा टूट जाएगा’’ तो इसका मतलब ऐसी स्थिति से है जहाँ वह उसे बाहर निकालने में सक्षम था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया बल्कि उसे निगल गया।’’ कुछ संशोधन के साथ संपन्न हूआ।

देखें: अल-मजमूअ ( 6/317)

तथा प्रश्न संख्या (78438) का उत्तर देखें। उसमें इब्ने कुदामा रहिमहुल्लाह का बहुत उत्कृष्ट वक्तव्य है। इसी प्रकार प्रश्न संख्या (22981) का भी उत्तर देखें। उसमें रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों की जानकारी के लिए उपयोगी नियमों (दिशा निर्देशों) का वर्णन हुआ है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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