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शीघ्र क्रुद्ध होनेवाले नर्वस बच्चे का इलाज

प्रश्न: 21357

मेरा एक बेटा है जो बहुत गुस्से वाला और तेज़-मिज़ाज है। मैं उसके इस स्वभाव का इलाज कैसे करूँॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

क्रोध से निपटने के बारे में एक प्रश्न पहले गुज़र चुका है, जिसे प्रश्न संख्या (658) के तहत देखा जा सकता है। क्रोध से निपटने के उपचारों में निम्नलिखित शामिल हैं :

  • शापित शैतान से अल्लाह की शरण लेना।
  • चुप रहना।
  • सुकून (ठहराव एवं स्थिरता), यदि वह खड़ा है, तो उसे बैठ जाना चाहिए और यदि वह बैठा है, तो उसे लेट जाना चाहिए।
  • क्रोध पर काबू पाने के प्रतिफल को याद रखना, जैसा कि सहीह हदीस में है : "गुस्सा मत करो और तुम्हारे लिए स्वर्ग है।"
  • अपने आप पर नियंत्रण रखने वाले की उच्च स्थिति और ऊँचे पद को पहचानना, जैसा कि प्रामाणिक हदीस में है : “जो अपने गुस्से पर काबू रखता है, अल्लाह उसके दोषों को ढक देगा, और जो अपने गुस्से को दबाता है – हालाँकि यदि वह उसे दिखाना चाहे तो दिखा सकता है – तो अल्लाह क़ियामत के दिन उसके दिल को आशा से भर देगा।'' अलबानी ने अस-सिलसिला अस-सहीहा” (906) में इसे हसन कहा है।
  • क्रोधित होने के समय नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दिशानिर्देश को जानना।
  • यह जानना कि गुस्से पर काबू पाना तक़वा वालों की निशानियों में से है, जैसा कि पिछली हदीस में वर्णित है।
  • याद दिलाने पर याद रखना (ध्यान देना) और बाज़ आ जाना, स्वयं पर नियंत्रण रखना तथा नसीहत करने वाले का अनुपालन करना।
  • क्रोध के दुष्परिणामों को जानना.
  • क्रोधी व्यक्ति का क्रोध के क्षण में स्वयं पर विचार करना।
  • यह दुआ करना कि अल्लाह उसके दिल का गुस्सा दूर कर दे।

नीचे एक अच्छी कहानी दी जा रही है जो उस बच्चे का उपचार करने में मदद करेगी जिसकी स्थिति का उल्लेख किया गया है :

एक नर्वस लड़का था जो लगातार अपना आपा खोता रहता था। इसलिए उसके पिता ने उसे कीलों से भरा एक थैला दिया और उससे कहा : मेरे बेटे, मैं चाहता हूँ कि जब भी तुम पर क्रोध की लहर आए और तुम अपना आपा खो दो, तो तुम हमारे बगीचे की लकड़ी की बाड़ में एक कील ठोंक दो।

इसलिए बेटे ने अपने पिता की सलाह का पालन करना शुरू कर दिया…

पहले दिन उसने 37 कीलें ठोंकीं, लेकिन बाड़ में कीलें ठोंकना आसान नहीं था।

इसलिए गुस्सा आने पर उसने खुद पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी। और फिर, कुछ दिनों के बीतने के बाद, वह कम कीलें ठोंकने लगा, और कुछ ही हफ्तों में वह खुद को नियंत्रित करने में सक्षम हो गया और फिर गुस्सा करना और कीलें ठोंकना बंद कर दिया। वह अपने पिता के पास आया और उन्हें अपनी उपलब्धि के बारे में बताया। उसके पिता इस परिवर्तन से बहुत खुश हुए और उससे कहा : "लेकिन अब, ऐ मेरे बेटे, तुम्हें हर उस दिन जिसमें तुम्हें गुस्सा नहीं आया, एक कील निकालनी होगी।”

अब लड़के ने फिर से उस दिन कीलें उतारना शुरू कर दिया जिस दिन उसे गुस्सा नहीं आता था यहाँ तक कि वह बाड़ में लगी कीलें निकालने से फारिग़ हो गया।

वह अपने पिता के पास आया और उन्हें अपनी उपलब्धि के बारे में फिर से बताया, तो उसके पिता उसे बाड़ के पास ले गए और उससे कहा :

“मेरे बेटे, तुमने अच्छा काम किया, लेकिन अब बाड़ में उन छेदों को देखो। यह बाड़ फिर कभी पहले जैसी नहीं होगी।” और उन्होंने कहा :

“जब आप क्रोध की स्थिति में कुछ कहते हैं, तो वे दूसरों के दिलों पर इन छेदों जैसे निशान छोड़ जाते हैं।

आप किसी व्यक्ति को चाकू मार सकते हैं और चाकू निकाल सकते हैं, लेकिन इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप कितनी बार कहते हैं : 'मुझे क्षमा करें', क्योंकि घाव अभी भी बना रहेगा।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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