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उसे रमज़ान में क़ुरआन पढ़ने के लिए समय नहीं मिलता

प्रश्न: 108455

मैं आपको रमज़ान के महीने के आगमन की बधाई देता हूँ। रमज़ान के महीने के शुरू में, मैं ने अपने आप से यह प्रतिज्ञा किया था कि क़ुरआन करीम को खत्म करूँगा, लेकिन अफसोस की बात है कि मैं सुबह छः बजे जागता हूँ और शाम को साढ़े पाँच बजे घर वापस आता हूँ। और रोज़ा इफतार करने के बाद थकावट मुझे घेर लेती है। तो मैं सो जाता हूँ और लगभग दस बजे तक सोता हूँ। फिर सेहरी तक जगा रहता हूँ लेकिन सोने वाले के समान होता हूँ और लगभग 12 बजे सेा जाता हूँ ताकि सुबह जाग सकूँ तो मैं इस स्थिति में क्या करूँ ॽ

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हर प्रकार कीप्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

हम इस सम्मानितमहीने की आपको बधाई देते हैं, और अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि वह अपने ज़िक्र, अपने शुक्र औरअपनी अच्छी इबादत करने पर हमारी मदद करे।

मुसलमान सेअपेक्षित यह है कि वह दुनिया व आखिरत (लोक परलोक) के हितों को एक साथ रखे, अतः वह न तो ऐसाहो जाए जो, आखिरत पर ध्यान देने के तर्क से, दुनिया को त्यागकर देता और उसे बर्बाद कर देता है। और न ही उस आदमी की तरह हो जाए जो दुनिया ही परध्यान देता है और परलोक से उपेक्षा करता है।

बल्कि दुनिया कामक़सद यह है कि उस से आखिरत के लिए तोशा तैयार किया जाए, क्योंकि दुनियास्थायी स्थान नहीं है, बल्कि यह एक गुज़रगाह है जिस से इंसान – ज़रूरी तौर पर -परलोक की तरफ स्थानांतरित हो जायेगा।

अतः बुद्धिमानमुसलमान वह है जो उस स्थानांतरण के लिए तैयारी करता है, इसीलिए नबीसल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न किया गया कि “सबसे होशयार और सबसे दूरदर्शी कौन है ॽ” तो आप ने फरमाया :“उनमें सबसे अधिकमौत को याद करने वाला, और सबसे अधिक उसकी तैयारी करने वाला।” इसे तब्रानी नेरिवायत किया है और मुनज़िरी ने “अत-तरगीब वत तहज़ीब” (4/197) में इसे हसन कहा है और हैसमी ने “मजमउज़्ज़वाइद” (10/312), तथा ईराक़ी ने “तखरीज अहादीसिलएहया” (5/194) में कहा है कि उसकी इसनाद अच्छी है और अल्बानी नेउसे “ज़ईफुत् तरगीब” (1964) में उल्लेख किया है।

अतः दुनिया सेप्रस्थान करने के दिन के लिए तैयारी करना ज़रूरी है,क्योंकि वहीं स्थायी ठिकाना है, हम अल्लाह तआला सेप्रश्न करते हैं कि वह हमें अपनी दया व करूणा के ठिकाने में एकत्रित करे।

मुसलमान को चाहिएकि वह दुनिया के काम और आखिरत के काम दोनों करे,क्योंकि इनसान को आवास, धन, कपड़े, खानी और पानी कीआवश्यकता होती है ताकि उसका शरीर जीवित रहे, तथा उसे शुद्ध ईमान, नमाज़, रोज़ा, अल्लाह का ज़िक्र, क़ुरआन की तिलावत और लोगों के साथ भलाई करने ….. की भीआवश्यकता होती है ताकि उसका दिल जावित रहे।

अल्लाह तआला नेफरमाया :

يَاأَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اسْتَجِيبُوا لِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ إِذَا دَعَاكُمْلِمَا يُحْيِيكُمْ [الأنفال : 24]

“ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उसके रसूल का कहना मानो जब वहतुम्हें बुलाए उस चीज़ की तरफ जो तुम्हें जीवन प्रदान करती है।” (सूरतुल अनफाल : 24)

अतः मुसलमान कोरमज़ान और रमज़ान के अलावा में क़ुरआन पढ़ने की आवश्यकता है।

इसलिए उसका क़ुरआनकरीम का एक हिस्सा निर्धारित होना चाहिए जिसे वह प्रति दिन पाबंदी के साथ पढ़े, ताकि वह क़ुरआन को- अधिकतम रूप से – चालीस दिन में एक बार खत्म कर सके। जहाँ तक रमज़ान का मामला हैतो उससे इससे अधिक मात्रा में पढ़ना अपेक्षित है,क्योंकि वह क़ुरआन पढ़ने और नेकियों केसर्वश्रेष्ठ मौसमों में से है, (अल्लाह तआला का फरमान है):

شَهْرُرَمَضَانَ الَّذِي أُنزِلَ فِيهِ الْقُرْآنُ [البقرة : 185]

“रमज़ान का महीना वह है जिसमें क़ुरआन उतारा गया।” (सूरतुल बक़रा :185)

आप अपने दिन से एकघण्टा निकाल सकते हैं जिसमें आप क़ुरआन करीम के दो से अधिक पारे पढ़ सकते हैं, इस तरह आप महीनेमें दो या तीन बार क़ुरआन खत्म कर सकते हैं, तथा आप आने जान में जो समय गुज़ारते हैं उससे भी लाभ उठासकते हैं, इसलिए क़ुरआन हमेशा आपके साथ रहे आपके हाथ से अलग न हो, और आप इस बात काअनुभव करेंगे कि, यदि आप ने इसकी पाबंदी की तो इस संछिप्त समय में, आप ने कई बारक़ुरआन खत्म कर लिया है। तथा आप जिसके यहाँ काम करते हैं उससे काम के घंटों को कमकरने पर समझौता कर सकते हैं, भले ही इसके मुक़ाबले में वेतन कम कर दी जाए, अल्लाह तआला आपकोइसके बदले भलाई प्रदान करेगा, तथा आप अंतिम दस दिनों या उसके कुछ हिस्सों में छुट्टी लेसकते है, सारांश यह कि आप इस महीने से लाभ उठाने की अपनी ताक़त भरकोशिश करें। अभी अवसर मौजूद है, और दिन बाक़ी हैं। हम अल्लाह तआला से दुआ करते हैं कि वहहमें अपने आज्ञापालन में लगाए।

और अगर आप काम केघंटों को कम नहीं करा सकते या कुछ दिनों के लिए छुट्टी नहीं ले सकते, तो आपको चाहिए कियथाशक्ति अपने समय से लाभ उठाएं, और अगर अल्लाह तआला आपकी तरफ से इस बात को जान लेगा कि अगरकाम न होता तो आप क़ुरआन की तिलावत करने के अभिलाषा और उत्सुक थे, तो आपको आपकी नीयतके अनुसार पुण्य प्रदान करेगा।

अल्लाह तआला आपकोउस चीज़ की तौफीक़ दे जिसे वह पसंद करता और खुश होता है।

और अल्लाह तआला हीसबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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