क़ुर्बानी की वैधता के प्रमाण और क्या वे अनिवार्य होने या वांछनीय होने को दर्शाते हैॽ
यह कि इस मुद्दे में विद्वानों के बीच मोतबर मतभेद पाया जाता है, और इसके मुस्तहब होने का कथन हमारे निकट राजेह है। सक्षम लोगों में से जिसने संयम का रास्ता अपनाया और क़ुर्बानी को नहीं छोड़ा तो यह अधिक सावधानी का पहलू है और दायित्व के निर्वहन का अधिक पात्र है, जैसा कि हमने शैख इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह से उद्धृत किया है। जो अधिक जानकारी चाहता है, वह शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह की पुस्तिका "अहकामुल उज़्हिया वज़्ज़कात” और हुसामुद्दीन अफ्फाना की पुस्तक “अल-मुफस्सल फी अहकामिल उज़्हिया” देखे, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे पर बहुत सरल शैली में चर्चा की है। और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
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