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2,70402/रमज़ान/1438 , 28/मई/2017

उसने शहर के लोगों का अनुकरण करते हुए 31 दिनों का रोज़ा रखा, फिर उसी दिन के दौरान उसने यात्रा किया और यात्रा की वजह से उसने रोज़ा तोड़ दिया, क्या उसके लिए क़ज़ा करना अनिवार्य हैॽ

प्रश्न: 231279

जिसने रमज़ान के दौरान किसी दूसरे शहर की यात्रा की और उनके साथ रोज़ा पूरा किया, यहाँ तक कि उसने जो कुल रोज़ा रखा वह इकत्तीस दिन हो गया। इकत्तीसवें दिन उसने, अपने शहर के लोगों का पालन करते हुए रोज़ा रखा। फिर उस दिन के दौरान उसने यात्रा की और यात्रा की वजह से उसने रोज़ा तोड़ दिया। क्या उसके लिए रोज़ा क़ज़ा करना अनिवार्य हैॽ और क्या उसके लिए रोज़ा तोड़ना अनिवार्य है यदि वह उदाहरण के तौर पर ज़ुहर (दोपहर) के बाद अपने परिवार के शहर पहुँचा जबकि वे लोग रोज़े से नहीं थे क्योंकि वह उनके यहाँ ईद का दिन थाॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

उत्तर :

हर प्रकार की प्रशंसा औऱ गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

मैं ने यह सवाल शैख़ अब्दुर्रहमान अल बर्राक हफिज़हुल्लाह तआला के सामने पेश किया।

तो उन्होंने उत्तर दिया :

"हाँ, उसके लिए रोज़ा क़ज़ा करना अनिवार्य है, क्योंकि इस दिन का रोज़ा उसके ऊपर अनिवार्य था और उसने एक उज़्र के कारण रोज़ा तोड़ दिया था।

और यदि वह ऐसे शहर में पहुँचे जहाँ के लोग रोज़े से न हों तो उसके लिए उनके साथ रोज़ा तोड़ देना अनिवार्य है, क्योंकि उसका हुक्म उस शहर के लोगों का हुक्म हैं जिसमें वह पहुँचा है।

लेकिन अगर उसने फ़ज्र (सुबह) होने से पहले यात्रा की हैः तो उसके लिए कुछ भी अनिवार्य नहीं है ; क्योंकि फ़ज्र उदय होने से पहले उस पर रोज़े का हुक्म लागू नहीं होगा।'' समाप्त हुआ।

तथा लाभ के लिए देखें : (71203), (45545), (217122)।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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